Sunday, February 12, 2023


प्रेम आजकल (वैलेंटाइन स्पेशल)
 प्रेम प्रेम हर कोई करे
प्रेम करे न कोय
पर्स जो खाली रहे कभी
पास  न कोई  होय l
बैक बैलेंस को देखकर
जो रिश्तों को ढोए
चार दिनों की चांदनी
फिर अंधियारा होय l 
समय बड़ा अनमोल है 
व्यर्थ न इसको गंवा
प्रेम रोग जो लग जाए 
मिले न कोई दवा l 
वेलेंटाइन डे के नाम पर
मची गंद चहूं ओर 
ऐसी काली रात है ये
जिसकी न होती भोर
अपनी सनातन संस्कृति
चले हैं पीछे छोड़
पश्चिमी फैशन को लिए
लगा रहे सब दौड़
- सुभाष

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