Saturday, July 23, 2022

 


वक़्त

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वक़्त बुरा जो आया तो सब, अनजाने हो गए
अपनों के शहर में आकर के, बेगाने हो गए।
बीच भँवर में डूबी नैया, भरी थी जो सपनों से
कसमें वादे प्यार वफ़ा ये , अफ़साने हो गए ।
पैसों से थे रिश्ते सारे, शोहरत से थी इज़्ज़त
प्रेम मदिरा से खाली अब, मयखाने हो गए
न खुशियाँ न उम्मीदें , ऐसा मन बदहाल हुआ
ज्यों राधा बिन सूने मथुरा, बरसाने हो गए।

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